जातिवाद
ग्रामीणों का कहना है कि दस हज़ार की आबादी वाले इस गाँव में जाति की अहम भूमिका है. इन परिवारों के पड़ोसी रमेश कहते हैं कि भले ही क्लिक करेंप्रभावशाली जाति के लोगों की संख्या कम है लेकिन पुलिस और प्रशासन में उनकी जाति की भारी मौजूदगी के कारण वे लोग ताक़तवर हैं.
रमेश कहते हैं, "भले ही कुछ पुलिसवाले निलंबित कर दिए गए हैं लेकिन इससे कुछ नहीं बदलेगा क्योंकि जो नए आएंगे वे भी वैसे ही होंगे. वे भी भेदभाव करेंगे. हमारी जाति के लोग ग़रीब और कम पढ़े-लिखे होने की वजह से ताक़तवर और प्रभावशाली पदों तक नहीं पहुँच पाते हैं."
लड़कियों को बरामद करने का प्रयास करने के बजाए सिपाही सर्वेश ने कहा कि दो घंटे बाद तुम्हारी लड़कियाँ मिल जाएंगी. दो घंटे बीत गए लेकिन लड़कियाँ नहीं मिली. पुलिस से फिर पूछा तो कहा कि लड़कियाँ नहीं हैं, जाओ जाकर ढूंढो, कहीं पेड़ पर लटकी मिल जाएंगी."
एक मृतक लड़की के पिता
पीड़ित परिवार अब मामले की सीबीआई जाँच की माँग कर रहे हैं. लड़की के पिता कहते हैं, "हमें यहाँ की पुलिस पर कोई भरोसा नहीं हैं. हमारी बेटियों के शव पेड़ से लटके रहे और आरोपी खुले घूमते रहे. अब हमें सीबीआई जाँच चाहिए."
वो आरोप लगाते हैं कि बच्चियों की लाश मिलने के बाद भी पुलिस ने पीड़ित परिवार की कोई मदद नहीं की. वो कहते हैं, "पुलिस ने हमारी मदद करने के बजाए अभियुक्तों की ही मदद की. हमारी बेटियाँ चार बजे तक पेड़ पर लटकी रहीं, उसके बाद ही पुलिस ने हमारी कोई बात सुनी."